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बर्तोल ब्रेख्त |
मैं तो अपनी शर्म के बारे में बोलता हूँ ।
ओ जर्मनी, म्लान माँ !
तुम कितनी मैली हो
अब जबकि तुम बैठी हो
और इतरा रही हो
कीचड़ सनी भीड़ में ।
तुम्हारा सबसे गरीब पुत्र
बेजान होकर गिर पड़ा ।
जब भूख उसकी बर्दाश्त से बाहर हो गई ।
तुम्हारे अन्य पुत्रों ने
अपने हाथ उसके खिलाफ़ उठा दिए ।
यह तो कुख्यात है ।
अपने हाथ इस तरह उठा कर,
अपने ही भाई के विरुद्ध,
वो तुम्हारे चारों तरफ़ घूमते हैं
और तुम्हारे मुँह पर हँसते हैं ।
यह भी सर्वज्ञात है ।
तुम्हारे घर में
दहाड़ कर झूठ बोले जाते हैं
लेकिन सच को
चुप रहना होगा
क्या ऐसा ही है ?
क्यों उत्पीड़क तुम्हारी प्रशंसा करते हैं दुनिया भर में,
क्यों उत्पीड़ित निंदा करते हैं ?
जिन्हें लूटा गया
तुम्हारी तरफ़ उंगली उठाते हैं, लेकिन
लुटेरा उस व्यवस्था की तारीफ़ करता है
जिसका अविष्कार हुआ तुम्हारे घर में !
जिसके चलते हर कोई तुम्हें देखता है
अपनी ओढ़नी का किनारा छुपाते हुए, जो कि खून से सना है
उसी खून से जो
तुम्हारे ही पुत्रों का है ।
तुम्हारे घर से उग्र भाषणों की प्रतिध्वनि को सुन कर,
लोग हँसते हैं।
पर जो भी तुम्हें देखता, अपनी छुरी पर हाथ बढ़ाता है
जैसे कोई डाकू देख लिया हो ।
ओ जर्मनी, म्लान माँ !
क्या तुम्हारे पुत्रों ने तुम्हें मज़बूर कर दिया है
कि तुम लोगों के बीच बैठो
तिरस्कार और भय की वस्तु बन कर !
अंग्रेज़ी से अनुवाद: अनिल एकलव्य