मोर नाचते हैं
शीशम के जंगल में
शीशम के जंगल में
डालों के झुरमुट में
घूमता है
घूमता है
बूढ़ा चौकीदार--
पूरनमासी का चांद
पूरनमासी का चांद
परती के बीच
एक घर है
एक घर है
जहाँ बच्चे सोए हैं
जहाँ माँ सोई है
लटक आते हैं
छप्पर से गेहुँ
अन करइत
छप्पर से गेहुँ
अन करइत
जहाँ आंगन में
रात भर चमकती है
एक कुदाल
रात भर चमकती है
एक कुदाल
(रचनाकाल : 1979)