- बाबुल मेरो ब्याह रचाओ / ब्रजभाषा
- तुम भजन संभरि के गाना / ब्रजभाषा
- इतनो करि काम हमारो / ब्रजभाषा
- आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे / ब्रजभाषा
- राधा रंगीली मेरो नाम / ब्रजभाषा
- आज बिरज में होरी रे रसिया / ब्रजभाषा
- होरी खेलन आयो स्याम / ब्रजभाषा
- कान्हा बरसाने में आय जैयो / ब्रजभाषा
- चोरी माखन की दै छोड़ि कन्हैया / ब्रजभाषा
- ऐसे कपटी श्याम / ब्रजभाषा
रचाओ हो बाबुल मेरो ब्याह रचाओ
रचाओ हो बाबुल मेरो ब्याह रचाओ
कैऊ कल्प बीत गये याकों
तौऊ भई नहिं शादी है
ब्रह्मा विष्णु गोद खिलाये
महादेव की दादी है....
गाना हो तुम भजन संभरि के गाना
गाना हो तुम भजन संभरि के गाना
बावन अक्षर हैं ओलम के
इनके पास मतीं जाना
तीन लोक औ चौदह भुवन हैं
तिनके पार चले जाना
बावन अक्षर हैं ओलम के
इनके पास मतीं जाना
तीन लोक औ चौदह भुवन हैं
तिनके पार चले जाना
इनके भीतर जो तुम आये
पकरें दोऊ काना हो
तुम भजन संभरि के गाना.....
हमारो हो, इतनो करि काम हमारो
हमारो हो, इतनो करि काम हमारो
कान-सराई और गिंजाई
की बारी बनवा देना
मगरमच्छ का हँसला झूमै,
मगरमच्छ का हँसला झूमै,
चंद्रमा जड़वा देना
काँतर की मोइ नथ गढ़वाय दै,
काँतर की मोइ नथ गढ़वाय दै,
जामे लटकै बिच्छू कारो हो
इतनो करि काम हमारो
अंबर की मोइ फरिया लाय दै,
इतनो करि काम हमारो
अंबर की मोइ फरिया लाय दै,
बिजुरी कोर धरा देना
जितने तारे हैं अंबर में,
जितने तारे हैं अंबर में,
उतने नग जड़वा देना
धरती को पट करों घाघरो,
धरती को पट करों घाघरो,
शेषनाग को नारो हो
इतनो करि काम हमारो
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे
इतनो करि काम हमारो
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे
मत जइयो री अकेली कोई पनघट पे
आज ठाड़ो री बिहारी जमुना तट पे...
राधा रंगीली मेरो नाम
श्याम रे आइ जइयो
जमुना किनारे मेरी ऊँची हवेली
मैं ब्रज की गोपिका नवेली
बरसानो मेरो गाम
कि बंसी बाजाइ जइयो
राधा रंगीली मेरो नाम
श्याम रे आइ जइयो
आज बिरज में होरी है रे रसिया
होरी है रे रसिया, बरजोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...
आज बिरज में होरी है रे रसिया
कहूँ बहुत कहूँ थोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...
कहूँ बहुत कहूँ थोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...
इत तन श्याम सखा संग निकसे
उत वृषभान दुलारी है रे रसिया | आज बिरज में ...
उड़त गुलाल लाल भये बदरा
केसर की पिचकारी है रे रसिया | आज बिरज में ...
बाजत बीन, मृदंग, झांझ ओ डफली
गावत दे -दे - तारी है रे रसिया | आज बिरज में ...
श्यामा श्याम संग मिल खेलें होरी,
तन मन धन बलिहारी है रे रसिया | आज बिरज में ...
उत वृषभान दुलारी है रे रसिया | आज बिरज में ...
उड़त गुलाल लाल भये बदरा
केसर की पिचकारी है रे रसिया | आज बिरज में ...
बाजत बीन, मृदंग, झांझ ओ डफली
गावत दे -दे - तारी है रे रसिया | आज बिरज में ...
श्यामा श्याम संग मिल खेलें होरी,
तन मन धन बलिहारी है रे रसिया | आज बिरज में ...
होरी है रे रसिया, बरजोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...
आज बिरज में होरी रे रसिया ! आज बिरज में ...
होरी खेलन आयो स्याम
होरी खेलन आयो श्याम, आज याए रंग में बोरो री
आज याए रंग में बोरो री, आज याए रंग में बोरो री
याकी हरे बाँस की बाँसुरिया, याए तोरि मरोरो री ...........
होरी खेलन आयो श्याम...
आज बिरज में होरी रे रसिया ! आज बिरज में ...
होरी खेलन आयो श्याम, आज याए रंग में बोरो री
आज याए रंग में बोरो री, आज याए रंग में बोरो री
याकी हरे बाँस की बाँसुरिया, याए तोरि मरोरो री ...........
होरी खेलन आयो श्याम...
कान्हा बरसाने में आए जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी
कान्हा बरसाने में आए जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी
बुलाय गई राधा प्यारी, बुलाय गई राधा प्यारी .......
कान्हा बरसाने में आए जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी
कान्हा माखन मिश्री खाय जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी
कान्हा बरसाने में आए जैयो, बुलाय गई राधा प्यारी
बुलाय गई राधा प्यारी, बुलाय गई राधा प्यारी .......
चोरी माखन की दै छोड़ि
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय
एक लख धेनु नंद बाबा कें
नित घर माखन होय
दधि माखन तू रोज चुरावै
हँसी हमारी होय
चोरी माखन की दै छोड़ि
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय...
ऐसे कपटी श्याम
ऐसे कपटी श्याम कुंजन बन छोड़ चले उधो
ऐसे कपटी श्याम कुंजन बन छोड़ चले उधो
जो मैं होती जल की मछरिया
श्याम करत स्नान चरण गह लेती मैं उधो / ऐसे कपटी...
जो मैं होती चन्दन का बिरला
श्याम करत श्रृंगार मैथ बिच रहती मैं उधो / ऐसे कपटी...
जो मैं होती मोर की पांखी
श्याम लगाते मुकुट मुकुट बिच रहती मैं उधो / ऐसे कपटी...
जोमें होती तुलसी का बिरला
श्याम लगाते भोग थल बिच रहती मैं उधो / ऐसे कपटी...
जो मैं होती बांस की पोली
श्याम छेड़ते राग अधर बिच रहती मैं उधो / ऐसे कपटी...
जो मैं होती बन की हिरनिया
श्याम चलते बाण प्राण तज देती मैं उधो / ऐसे कपटी...
[ श्रेणी : ब्रजभाषा लोकगीत। रचनाकार : अज्ञात ]